विश्व विकलांगता दिवस के अवसर पर सामाजिक संस्था फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी द्वारा जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।

 देहरादून  – आशा कोठारी

विश्व विकलांगता दिवस के अवसर पर मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संस्था फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी द्वारा जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में प्रख्यात मनोवैज्ञानिक समाजसेवी डॉ. पवन शर्मा (द साइकेडेलिक) ने मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत और उसके अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में जानकारी दी।
डॉ पवन शर्मा ने बताया कि ह्रदय रोगों, डाइबिटीज और कैंसर के बाद अब भारत में न्यूरोलॉजिकल बीमारियां गम्भीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का रूप ले चुकी हैं। डब्ल्यूएचओ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार करीब 25 लाख भारतीय स्ट्रोक से पीड़ित हैं। हर चार मिनट में एक भारतीय की मौत स्ट्रोक से हो रही है। भारत में हर तीसरा परिवार किसी न किसी मानसिक रोग का शिकार है। आने वाले दशक में यह समस्या मृत्यु और विकलांगता का सबसे बड़ा कारण बन सकती है।
लाखों मरीज़ शुरुआती लक्षणों को डाइबिटीज, तनाव या सामान्य सिरदर्द समझकर इलाज में देरी कर देते हैं और स्थायी विकलांगता या मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है।
डॉ. पवन शर्मा ने कहा कि भारत में न्यूरोलॉजिकल बीमारियाँ केवल स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक और अर्थिक आपदा का रूप ले रही है। विभिन्न प्रकार के नशे, आत्महत्याओं, तलाक, टूटते रिश्तों की बढ़ती घटनायें बिगड़ते मानसिक रोग से जुड़ी चुनौतियों का साक्षात प्रमाण हैं। समय आ गया है कि मानसिक स्वास्थ्य को विशेषज्ञ-आधारित सुविधा नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकार के रूप में स्वीकार किया जाये।
इस अवसर पर समाजसेवी भूमिका भट्ट शर्मा, विभा भट्ट, राहुल भाटिया, एडवोकेट कुलदीप भारद्वाज, पूनम नौडियाल, सुनिष्ठा सिंह, एडवोकेट प्रीति जोशी भी उपस्थित रहे।