विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर अपने प्रदेश के सभी दिव्यांगजनों समाजसेवी संस्थाओं सेवाकर्मियों तथा संवेदनशील समाज के सभी मित्रों को हृदय से विनम्र अभिवादन – विष्णु प्रसाद सेमवाल

विश्व दिव्यांग दिवस
( एक संदिनशील क्षण)

चमियाला टिहरी गढ़वाल / देहरादून

आशा कोठारी

विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर अपने प्रदेश के सभी दिव्यांगजनों,समाजसेवी संस्थाओं,समाज कल्याण के सेवाकर्मियों तथा संवेदनशील समाज के सभी मित्रों को हृदय से विनम्र अभिवादन।

दिव्यांगता शरीर की सीमाएँ अवश्य बाँध सकती है,लेकिन अधिक पीड़ादायक तब होती है जब समाज के कुछ लोग उनकी उपेक्षा या उपहास करते हैं। इस ‘ व्यवहार से शारीरिक कष्ट तो समय के साथ आत्मसात हो जाता है,किन्तु मन भीतर तक घायल हो जाता हैं। यही चोट आत्मविश्वास को तोड़ देती है।

सौभाग्य है कि आज जागरूकता बढ़ी है, संवेदनशील लोग दिव्यांग भाइयों-बहनों को मानवीय अपनत्व व प्रोत्साहन दे रहे हैं। इसी भावना से प्रेरित होकर सरकार ने 1985/86 में तीन राजकीय विकलांग कार्यशाला एवं प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए, जिनके माध्यम से अनेक दिव्यांगों ने हुनर सीखा और आत्मनिर्भर बनने का प्रयास किया। किन्तु बाज़ार व संसाधनों के अभाव में उनकी मेहनत को वह पहचान नहीं मिल सकी जिसके वे पूर्णतः हक़दार थे।

दिव्यांगता अभिशाप नहीं,केवल एक अवस्था है। आवश्यकता है,- सम्मान, अवसर व आत्मनिर्भरता प्रदान करने की।

इर सन्दर्भ में करणीय प्राथमिकताएं,सुझाव:

1️⃣ प्रशिक्षण केंद्रों को रोजगार-संलग्न बनाया जाए। जहाँ प्रशिक्षण मिले,वहीं उत्पादन,विपणन और रोजगार की सुविधा भी सुनिश्चित हो।

2️⃣ आत्मनिर्भर, रचनात्मक कार्यों में लगे दिव्यांग जनों का सार्वजनिक सम्मान हो।
जो दिव्यांग भाई-बहन अपने परिश्रम से परिवार का दायित्व निभा रहे हैं,वे समाज के लिए प्रेरणा स्तंभ हैं, उन्हें सामाजिक मंचों पर सम्मान मिलना चाहिए।

3️⃣ दिव्यांग पेंशन महंगाई के अनुरूप बढ़ाई जाए। वर्तमान 1500 रुपये की राशि जीवन-यापन के लिए अपर्याप्त है। आर्थिक सुरक्षा दिव्यांग जनों का अधिकार भी है, उपकार नहीं।

4️⃣ **कला, संगीत व रचनात्मक प्रतिभाओं को मंच मिले,सरकारी स्तर पर दिव्यांग प्रतिभा कार्यक्रम आयोजित हों और चयन प्रक्रिया पारदर्शी हो।

विश्व दिव्यांग दिवस तभी सार्थक होगा जब दिव्यांग जन हीन भावना से मुक्त हों, तथा शासकीय सम्बल से आर्थिक रूप से सशक्त बनें, अपनी कला-प्रतिभा को आत्मविश्वास के साथ समाज के सम्मुख प्रस्तुत कर सकें।