हरिद्वार / देहरादून:
आशा कोठारी




हरिद्वार। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूरे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा है कि न्याय प्रणाली में समान नजरिया रखे जाने की जरूरत है इसके लिए अधिवक्ताओं को भी आगे आना होगा। कोश्यारी ने कहा कि सामान्य जन को न्याय में रिलीफ मिले और सबको एक डंडे से हांकना भी उचित नहीं है।
वरिष्ठ नेता कोश्यारी आज हरिद्वार के प्रेम नगर आश्रम में आयोजित अधिवक्ता परिषद देवभूमि उत्तराखंड की प्रदेश परिषद की बैठक को संबोधित कर रहे थे। परिषद के उद्घाटन सत्र का शुभारंभ करते हुए उन्होंने बहुत बेबाकी से बहुत सारी बातें न्याय प्रणाली से जुड़े न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं व कार्यक्रम में मौजूद लोगों से कही। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा राज्यपालों को दिए गए निर्देश का हवाला देते हुए कहा की सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा में पारित विषयों पर राज्यपालों को आंख बंद कर साइन कर देने के निर्देश दिए, जबकि संसद द्वारा पारित एनजेएसी को संसद ने टर्न डाउन कर दिया।
कोश्यारी ने एक अदालत द्वारा खनन कार्य पर रोग लगाए जाने का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि रोक लगने से कितने लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ा, इस पहलू को भी देखा जाना चाहिए था। यही नहीं राज्य को कितना आर्थिक नुकसान हुआ इसका भी आकलन किया जाना चाहिए था। उन्होंने परिषद की बैठक में मौजूद न्याय वेदों को एक राजा की कहानी भी सुनाई। जिसमें दो महिलाएं एक बच्चे के लिए लड़ते हुए राज दरबार में पहुंचती है समझदार राजा ने फैसला सुनाया की बच्चों के दो टुकड़े करके दोनों महिलाओं को एक-एक टुकड़ा दे दिया जाए। राजा की इस फैसले पर जो नकली मां थी वह बच्चों के टुकड़े करने पर राजी हो गई लेकिन जो असली मां थी उसने कहा कि बच्चा इसी को दे दीजिए लेकिन उसके टुकड़े मत कीजिए। उन्होंने कहा कि आज हमें ऐसा ही न्याय चाहिए और इसके लिए न्याय प्रणाली से जुड़े न्यायाधीशों व अधिवक्ताओं को गंभीरता से सोचना होगा। इस सम्मेलन में हाई कोर्ट के न्यायाधीश राकेश थपलियाल सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता गण मौजूद थे।